Hayflick limit क्या होता है ?

हायफ्लिक सीमा (Hayflick Limit) एक महत्वपूर्ण अवधारणा है जो हमारे शरीर की उम्र और स्वास्थ्य को नियंत्रित करने में मदद करती है। यह सीमा सेल डिवीजन की संख्या की सीमा को दर्शाती है जिसे एक सामान्य मानव सेल अनुभव कर सकती है।

हायफ्लिक सीमा का नाम डॉ. लेनार्ड हायफ्लिक के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने 1961 में इसकी खोज की थी। हायफ्लिक ने पाया कि सामान्य मानव सेल्स में सेल डिवीजन की संख्या सीमित होती है, और यह सीमा लगभग 50 से 70 डिवीजनों के बीच होती है।

हायफ्लिक सीमा का महत्व यह है कि यह हमारे शरीर को कैंसर जैसी बीमारियों से बचाती है। जब सेल्स अनियंत्रित रूप से विभाजित होने लगती हैं, तो यह कैंसर का कारण बन सकता है। हायफ्लिक सीमा यह सुनिश्चित करती है कि सेल्स अनियंत्रित रूप से विभाजित नहीं होंगी, और इस तरह हमारे शरीर को कैंसर से बचाती है।

हायफ्लिक सीमा टेलोमेरे की लंबाई से जुड़ी हुई है, जो क्रोमोसोम के अंत में स्थित होती है। प्रत्येक सेल डिवीजन के साथ, टेलोमेरे की लंबाई कम होती जाती है, और जब यह एक निश्चित सीमा से नीचे आ जाती है, तो सेल डिवीजन बंद हो जाता है।

हायफ्लिक सीमा के महत्व को समझने के लिए, हमें यह समझना होगा कि सेल डिवीजन कैसे होता है। सेल डिवीजन एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसमें सेल्स विभाजित होकर नई सेल्स बनाती हैं। यह प्रक्रिया हमारे शरीर को विकसित करने और मरम्मत करने में मदद करती है।

हालांकि, सेल डिवीजन की संख्या सीमित होती है, और यह सीमा हायफ्लिक सीमा है। जब सेल्स हायफ्लिक सीमा तक पहुंच जाती हैं, तो वे विभाजित नहीं हो सकती हैं, और इस तरह वे मृत्यु की ओर बढ़ जाती हैं।

हायफ्लिक सीमा का महत्व न केवल कैंसर को रोकने में है, बल्कि यह हमारे शरीर की उम्र को भी नियंत्रित करती है। जैसे ही हमारे शरीर की सेल्स हायफ्लिक सीमा तक पहुंच जाती हैं, वे विभाजित नहीं हो सकती हैं, और इस तरह हमारा शरीर उम्र के प्रभावों का सामना करने लगता है।

निष्कर्ष रूप में, हायफ्लिक सीमा एक महत्वपूर्ण अवधारणा है जो हमारे शरीर की उम्र और स्वास्थ्य को नियंत्रित करने में मदद करती है। यह सीमा हमारे शरीर को कैंसर जैसी बीमारियों से बचाती है और हमारे शरीर की उम्र को नियंत्रित करती है।

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